इसमे 10 हजार अमूल्य ग्रंथ एवं पांडुलिपियों का अनूठा संकलन है। श्री आजाद जैन बीड़ी वालों के अर्थ सोजन्य से यह भवन निर्मित है । इसके उपर की मंजिल बनाने का सौभाग्य श्री खेमचंदजी सोरई वालों को प्राप्त हुआ है। इसमे लगभग 1 लाख ग्रंथ रखने की योजना है।